जीती रही जन्म जन्म... पुनश्च
मरती रही.... मर मर जीती रही पुनः.....
चलता रहा सृष्टिक्रम...
अंतविहीन पुनरावृत्ति क्रमशः~~~~...
पेशे से डॉक्टर / स्त्री रोग विशेषज्ञ...
बहुत दुखी देखे है |...
जिंदगी और मौत की गुत्थमगुत्था -..
छटपटाता जीवन- घुटने टेकता मिटते देखा है |..
जिंदगी की जंग जीती जाए..
अमृतरस की आस है |..
5 comments:
sundar prastuti...
very nice .Good for a good laugh.Enjoyed it .
thanks Laxmi ji
Thanks Anupama ji..
Have Fun...:)))
http;//shayaridays.blogspot.com
hahahaha
Pyari sakhi waah bahut hi sunder rachna.......tumhari lekhni ki hamesha se kaayal rahi hun main..........:))
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